कुछ सवालों के जवाब नहीं होते
शब्द टूट कर बिखरते हैं
यहाँ शब्द हिलते होटों की जुम्बिश हैं
फिर आवाज़ें
आवाज़ें तो सुनी जाती हैं
आवाजों को कब देखा जा सकता है
फिर आँखें क्यौं बोलती हैं
शायद आँखे खिड़कियाँ होती हैं
दिल के तहखानों की
झूट की दुनियाँ में
सच गूंगा है
बूढ़ी हथेली की रेखाओं की तरहा
सब कुछ गडमड
चेहरे मुखोटा बदल कर सामने आ जाते है
मगर खामोशी के अपने खतरे
सवाल होते है तो
जवाब खोजने की शिद्द्त भी
बनी रहती है !
शब्द टूट कर बिखरते हैं
यहाँ शब्द हिलते होटों की जुम्बिश हैं
फिर आवाज़ें
आवाज़ें तो सुनी जाती हैं
आवाजों को कब देखा जा सकता है
फिर आँखें क्यौं बोलती हैं
शायद आँखे खिड़कियाँ होती हैं
दिल के तहखानों की
झूट की दुनियाँ में
सच गूंगा है
बूढ़ी हथेली की रेखाओं की तरहा
सब कुछ गडमड
चेहरे मुखोटा बदल कर सामने आ जाते है
मगर खामोशी के अपने खतरे
सवाल होते है तो
जवाब खोजने की शिद्द्त भी
बनी रहती है !
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