शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

ये कैसा तुम्‍हारा जादू वसंत
तन मन दोनों बौराए
पलक झपकती नहीं
इंतज़ार अपने दीवाने का
ये आँखें करती हैं
सच कहती हूँ वसंत
तुम्‍हारा आना मन को
बहुत भाता है
तुम्‍हारे आने से
आँचल मेरा भर जाता है
अपार खुशियों से

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

Naino Mein Badra Chhaye - Mera Saaya (1080p HD Song)

Mera Saaya (1966) - Nainon Mein Badra Chhaye

Asha & Usha - Kahey Tarsaaye Jiyara - Chitralekha [1964]

प्रेम में प्रेमास्पद आगे बदने की ख्वाइश रखता है और अपेक्षाएं करता है कि प्रतिध्वनि भी



समान होगी और प्रतिध्वनि जब समानांतर नहीं होती तब टूटता है प्रेम, शाश्वत सत्य है


कि अगर ताल से ताल नहीं मिलती तो संगीत भी बेसुरा हो जाता है क्यूंकि प्रेम हमारे


जीवन का अंग है जीवन नहीं, साँसों कि लय है सांस नहीं .


प्रेम उदय तो होता है एह क्षणिक आकर्षण से पर पलता और पुष्ट होता है विश्वास के विशाल


वृक्ष के तले और तब्दील हो जाता है स्वयं एक विशाल वृक्ष में जिसके तले जीवन के अन्य


आवेग पलते है जैसे ममता क्रोध इत्यादि और रसमय कर देता है खुद को अपनी ही


प्रतिध्वनियों में पर अंत नहीं होता प्रेम का जब तक साँसे साथ नहीं छोडती


या स्पन्दन्हीन नहीं होता मन


जिसका अंत हो जाय वह प्रेम नहीं वासना है जो सिर्फ धोखा देती है प्रेम का,

पर प्रेम जैसी विशाल पवित्र और निरंतर नहीं होती. वासना में जुनून होता है

प्रेम शांत अविरल मंजिल कि ओर बढता है प्रतिउत्तर न मिलने पर मूक हो जाता है

पर  ख़तम नहीं होता ......नेहा प्रेम दिवस पर विशेष .......
प्यार तो दो आत्माओं का मिलन है। कोई किसी को कब अच्छा लग जाए, कब किसे दिल दे बैठे यह कहा नहीं जा सकता। प्यार किसी सूरत या लेन-देन से मतलब नहीं रखता। प्यार में बस सच्चाई होनी चाहिए। ये ज़रूरी नहीं कि जिसे हम चाहें या पसन्द करें वह भी हमें उतना ही चाहे। प्यार तो किसी से भी हो सकता है, चाहे वह कोई भी हो। चाहे वह मां-बाप हो, बहन-भाई, कोई रिश्तेदार या फिर कोई ऐसा, जिसे आप अपनी ज़िन्दगी में एक खास जगह देते हैं। प्यार तो बिना किसी मतलब के किया जाता है और जब आप किसी को प्यार करते हैं तो यह उम्मीद नहीं रखना चाहिए कि आपको भी वह उतना ही प्यार करे। बस आप उसे प्यार करो और उसे खुश रखो , चाहे वह किसी और से ही प्यार क्यों न करता हो। कोई ज़रूरी नहीं कि हम जिसे प्यार करें वह हमारा जीवनसाथी बने ही। इसीलिए तो कहा है कि प्यार नि:स्वार्थ होता है।



ऐ खुदा आज ये फरमान लिख दे

मेरी खुशी मेरे दोस्त के नाम लिख दे

अगर उसकी खुशी के लिए किसी की जान चाहिए

तो उस जान पर मेरा नाम लिख दे..........नेहा

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

या कुंदेंदु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता |

या वीणावर दण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ||

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |

सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्यापहा ||



जो कुंद फूल, चंद्रमा और वर्फ के हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं|

जिनके हाथ, श्रेष्ठ वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमल पर आसन ग्रहण करती हैं||

ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदिदेव, जिनकी सदैव स्तुति करते हैं|

हे माँ भगवती सरस्वती, आप मेरी सारी (मानसिक) जड़ता को हरें||

देखते ही

किसी तरफ़

एक रिश्ता कायम कर

उसे

सदियों पुराना

साथी बना लेती थीं

पर आज

यकायक

देख कर

किसी को

शायद...!

ये ना जाने कौन है...?

विचार कर

खुद-ब-खुद

चुरा ली जाती हैं

कभी-कभी सोचता हूं

किसी की तरफ़

उठ कर

रुक क्यों नहीं जाती...!

पत्थरा क्यों नहीं जाती...!

ये आंखें......