बुधवार, 31 अगस्त 2011

मैंने तो कभी नहीं कहा मैं खींच रहा हूँ आकाश पर लकीर, मैंने बस बोलते हुए सोचा 
आकाश पर लकीर खींच रहा हूँ ,
कि 
नींद खुल गई यह देखकर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें