प्यार तो दो आत्माओं का मिलन है। कोई किसी को कब अच्छा लग जाए, कब किसे दिल दे बैठे यह कहा नहीं जा सकता। प्यार किसी सूरत या लेन-देन से मतलब नहीं रखता। प्यार में बस सच्चाई होनी चाहिए। ये ज़रूरी नहीं कि जिसे हम चाहें या पसन्द करें वह भी हमें उतना ही चाहे। प्यार तो किसी से भी हो सकता है, चाहे वह कोई भी हो। चाहे वह मां-बाप हो, बहन-भाई, कोई रिश्तेदार या फिर कोई ऐसा, जिसे आप अपनी ज़िन्दगी में एक खास जगह देते हैं। प्यार तो बिना किसी मतलब के किया जाता है और जब आप किसी को प्यार करते हैं तो यह उम्मीद नहीं रखना चाहिए कि आपको भी वह उतना ही प्यार करे। बस आप उसे प्यार करो और उसे खुश रखो , चाहे वह किसी और से ही प्यार क्यों न करता हो। कोई ज़रूरी नहीं कि हम जिसे प्यार करें वह हमारा जीवनसाथी बने ही। इसीलिए तो कहा है कि प्यार नि:स्वार्थ होता है।
ऐ खुदा आज ये फरमान लिख दे
मेरी खुशी मेरे दोस्त के नाम लिख दे
अगर उसकी खुशी के लिए किसी की जान चाहिए
तो उस जान पर मेरा नाम लिख दे..........नेहा
ऐ खुदा आज ये फरमान लिख दे
मेरी खुशी मेरे दोस्त के नाम लिख दे
अगर उसकी खुशी के लिए किसी की जान चाहिए
तो उस जान पर मेरा नाम लिख दे..........नेहा
meri jaan mere dost ke nam likh de '''dil ki baat lik di hai apne
जवाब देंहटाएं