आंधियां जब तेज रही थी
टहनियों में खलबली थी
दरख़्त वही जगह पर रहे
जड़े जिनकी खूब गहरी थी
खुद को घायल पाया हमने
हुस्न से जब नज़र मिली थी
एक मुलाक़ात में दिल दे बैठे
नाजनीन वो बड़ी हसीं थी
सुबह तक डूबा रहा सूरज
जाड़े की एक रात बड़ी थी
सब ने अपने होश गंवाये
ऐसी तो उसकी जादूगरी थी
तंग गलियों से जब मैं निकला
देखा तब एक सड़क खुली थी
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