पर एक हँसी के लिये वक्त नहीं.
दिन रात दौडती दुनिया मै,
जिन्दगी के लिये ही वक्त नही.....
माँ कि लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ केहने क वक्त नही.
सारे रिश्तो को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफनाने का भी वक्त नही.....
सारे नाम मोबईल मै है,
पर दोस्ति के लिये वक्त नही.
गैरो कि क्या बात करे,
जब अपनो के लिये हि वक्त नही.....
आँखो मे है नीन्द बडी,
पर सोने क वक्त नही.
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नही.....
पैसों कि दौड मे ऐसे दौडे,
कि थकने क भी वक्त नही.
पराये एहसासों की क्या कद्र करें,
जब अपने सपनो के लिये ही
वक्त नही.....
तू ही बता ए जिन्दगी,
इस जिन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को,
जीने के लिये भी वक्त नही...
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