कहते हैं जिंदगी बहुत छोटी है और यदि हम इस छोटी सी जिंदगी में भी अपनों से बैर पालकर बैठ जाएँ तो जिंदगी का क्या मजा आएगा? इस दिन सभी पुराने गिले-शिकवे भूलाकर तिल-गुड़ से मुँह मीठा कर दोस्ती का एक नया रिश्ता कायम किया जाता है। समूचे महाराष्ट्र में इस त्योहार को रिश्तों की एक नई शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। कुछ इसी तरह पंजाब में 'लोहड़ी' के रूप में तो तमिलनाडु में 'पोंगल' के रूप में इस त्योहार को मनाते हुए प्रकृति देवता का नमन किया जाता है।
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