शनिवार, 12 मार्च 2011

बात कम कीजिये जहानत को छूपाते रहिये



ये नया शहर है कोई दोस्त बनाते रहिये ...


दुश्मनी लाख सही ख़तम न कीजिये रिश्ता..


दिल मिले न मिले हाँथ मिलते रहिये .....निदा फाजली


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