गुरुवार, 24 मार्च 2011

Unforgettable Mohammad Rafi

एक बार चांदनी रात में मैंने रफ़ी साहब की आवाज़ में गया ये गाना "खोया खोया चाँद खुला आसमान "और मै उनकी फैन ,एसी ,कूलर और नजाने क्या -२ हो गई !मेरा पहला प्यार उनकी आवाज़ ही थी!मै केवल उन्ही के गाने सुनती मुझे तो ये लगने लगा था जैसे वो मेरे लिए ही गा रहें हैं मै आँखे बंद कर गाने सुनती और गानों में ही खो सी जाती ....मेरी बड़ी दीदी उनको "अजीज़ " जी का गाना पसंद था ..वो मुझ से कहती मै तो अजीज़ जी से शादी करुँगी !तो मैंने कहा एसा हो सकता है क्या???तो वो बोली हाँ क्यों नहीं हो सकती ..तो मै बोली तो फिर मै भी रफ़ी जी से शादी करुँगी ..वो बोली अरे.. तुम कैसे उनसे शादी करोगी ?तुम उनसे शादी नहीं कर सकती ..मै बोली जब तुम अजीज़ से शादी कर सकती हो तो मै क्यों नहीं...??क्यूंकि वो अब इस दुनियां में नहीं है ....तब मै रोने लगी थी..लेकिन अब ये सब सोंच कर होंठो पर मुस्कान आ जाती है....लेकिन उनकी आवाज़ मेरी रूह में समाई हुई है जिसमे कभी भी नहीं भूल सकती........"तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे जब कभी .कभी भी सुनोगे गीत मेरे संग -२ तुम भी गुनगुनाओगे "..

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